कार्तिकेय के चले जाने पर भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गये तभी से वे 'मल्लिकार्जुन' ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए।

'मल्लिका' माता पार्वती का नाम है, जबकि 'अर्जुन' भगवान शंकर को कहा जाता है।

शिव का ये धाम आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है

अक्टूबर से फरवरी के दौरान यहां जाना सबसे अच्छा रहेगा।

भगवान शिव अमावस्या पर अर्जुन के रूप में और पूर्णिमा पर देवी पार्वती मल्लिका के रूप में प्रकट हुए थे,इसलिए उनका नाम मल्लिकार्जुन पड़ा।

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दूसरा ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में श्रीशैलम मंदिर में है। यह मंदिर कृष्णा नदी के किनारे एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।

मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त रूप से दिव्य ज्योतियाँ विराजमान है.

कार्तिकेय के दर्शन की लालसा में भगवान शंकर ने ज्योति रूप धारण कर लिया और यहीं विराजमान हो गए

महाशिवरात्रि (इस वर्ष 8 मार्च को) के दौरान इसके दर्शन करना किसी भी भक्त के लिए सर्वोत्तम उपहार होगा

राजा कृष्णराय ने यहाँ एक सुन्दर मण्डप का भी निर्माण कराया था जिसका शिखर सोने का बना हुआ था

अक्टूबर से फरवरी तक के सर्दियों के महीने मल्लिकार्जुन मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय साबित होते हैं।