यहीं पर दारुका नामक राक्षस ने सुप्रिय नामक शिव भक्त को कैद कर लिया था। सुप्रिया द्वारा 'ओम नमः शिवाय' के जाप ने भगवान शिव का आह्वान किया
जिन्होंने यहां आकर राक्षस को हराया। यहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ था और आज भी इसकी पूजा की जाती है
नागेश्वेर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थिर है
धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को नागों के देवता के रूप में जाना जाता है। नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है।
यहां पर शिवजी की श्रद्धा पूर्वक पूजा नागेश्वर के रूप में की जाती है.
मंदिर के नजदीक एक और महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थान है जिसे गोपी तलाव तीर्थ कहा जाता है
मंदिर का गर्भगृह सभामंडप से निचले स्तर पर स्तिथ है। यहा स्तिथ नागेस्वर ज्योतिर्लिंग माध्यम बड़े आकर का है इस के ऊपर एक चांदी का आवरण है।
इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है
ये मंदिर सुबह 5:00 बजे आरती के साथ ही खुल जाता है लेकिन यहां भक्तों को प्रवेश सुबह 6:00 बजे मिलता है.
जो भक्त इस मंदिर में बैठकर श्रद्धापूर्वक माहात्म्य की कथा सुनता है उसके पाप धुल जाते हैं।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच है