यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है,
काशी विश्वनाथ मंदिर में एक विशेष आरती (पूजा अनुष्ठान) की जाती है जिसे मंगल आरती कहा जाता है
ऐसा माना जाता है की धरती के निर्माण के व्यक्त सूर्य की पहली कशी पर ही पड़ी थी
प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता।
उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं
कशी विश्वनाथ के शीर्ष पर एक छत्र लगा हुआ है और इस के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाऐ पूरी हो जाती है
कहाजाता है की विश्वनाथ मंदिर का स्पर्श करने से ही व्यक्ति को राजसूर्य यज्ञ का फल मिलता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में लगातार जलती रहने वाली शाश्वत ज्योति है। यह ज्वाला हजारों वर्षों से जल रही है।
काशी विस्वनाथ मंदिर में दाहिनीओर माँ भगवती और बहिनीओर भगवान शिव विराजमान है।
18वीं सदी में बने इस गुंबद पर नेपाल के महाराजा द्वारा दान किया गया 1,000 किलोग्राम सोना चढ़ाया गया है।
मंदिर की वर्तमान संरचना महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा वर्ष 1780 में करवाई गई थी.