यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं.

यहां माता सती का ह्रदय कट कर गिरा था इसलिए इसे हृदय पीठ भी कहते हैं.

मान्यता है कि बाबा भोले के भक्त जब सावन में बाबा बैजनाथ मंदिर में कांवर लेकर आते हैं तो उन्हें शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है

यहां माता सरस्वती की पूजा अर्चना तांत्रिक विधि से की जाती है.

बैद्यनाथ मंदिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक बासुकीनाथ में दर्शन नहीं किए जाते हैं।

देवघर से 16 किलोमीटर दूर दुमका रोड पर एक ख़ूबसूरत पर्वत त्रिकूट स्थित है।

इस पहाड़ पर बहुत सारी गुफाएं और झरनें हैं। यह स्थल मयूराक्षी नदी के स्त्रोत के लिए प्रसिद्ध है

बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर से लेकर माता पार्वती मंदिर के शिखर तक ग्रंथिबंधन एक लाल धागे से बांधा जाता है

साल भर शिवभक्तों की यहां भारी भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन महीने में यह पूरा क्षेत्र केसरिया पहने शिवभक्तों से पट जाता है.

यह मंदिर झारखंड के देवघर में स्थित है। देवघर का  अर्थ है 'देवताओं का घर'।

बैद्यनाथ मंदिर देवघर से 45.20 किलोमीटर दूर स्थित हिन्दुओं का यह तीर्थ स्थल दुमका जिले में स्थित है।