प्रत्यक्ष सोमवारको को अखाड़े के साधु-संतो के द्वारा मंदिर में भस्म आरती की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि किसी भी शुभ काम को करने से पहले महाकाल का आशीर्वाद लेना बेहद जरूरी है।
श्रीनागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन केवल नाग पंचमी के दिन होते है।
महाकाल मंदिर हजारो साल पूरना है और परिसर का विस्तार राजा विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में करवाया था।
हर सावन के महीने में महाकाल की सवारी निकाली जाती है
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर जो सभी ज्योतिष सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा बेहद खास ज्योतिर्लिंग है
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन भागो में विभाजित है निचले खंड में महाकालेश्वर ,मध्य खंड में ओकारेश्वर और ऊपरी खंड में नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थिर है।
भगवान श्री कृष्ण ने उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कीथी इस लिए जो महाकाल के दर्शन करने आतेहै वो आश्रम का दर्शन जरूर करता है
महाकाल ज्योतिर्लिंग के कुछ ही दुरी पर देवी सटी के 51 शक्तिपीठो में से एक हरसिद्ध माता का मंदिर है।
दूषण नाम के राक्षस ने अवंतिका नगरी में आतंक मचाया था। इस से बचने के लिए एक ब्राह्मण ने शिव की आराधना की। उसे शिव धरती फाड़ कर महाकाल के रूप में यहाँ प्रकट हुए।
और उस राक्षस का वध किया। नगर के सभी लोकोने महाकाल को उसी स्थान पर रहने की प्राथना की और वो हमेशा के लिए वह पर स्थापित हो गए